श्री आद्या प्रसाद चौबे का जन्म जौनपुर जिले के नहोरा ग्राम में स्वर्गीय श्री रामअधार चौबे के घर हुआ । ये चार भाई थे - स्वर्गीय श्री शोभा चौबे, स्वर्गीय श्री राजबहादुर चौबे, स्वर्गीय श्री शारदा प्रसाद चौबे ,श्री आद्या प्रसाद चौबे. बचपन से ही इनका लगाव राजनीती में था, ये बार बार हम लोगो से कहते थे की अगर उस समय मै होता तो आजादी की लड़ाई में जरूर लड़ता. उनकी पहचान बचपन में ही पुरे गांव एक नेता के रूप में हो गयी थी, किसी भी मुद्दे पर बेबाकी से अपना विचार रखना उनकी आदत थी । इनका सिद्धांत हमेशा से त्याग का रहा चाहे वो अपने परिवार के प्रति हो या समाज के,. जो काम किया वो बिना स्वार्थ का, यही कारण है की समाज में उन्हें एक प्रतिष्ठा और आदर सम्मान की दृस्टि से देखा जाता है ।
पूरा गांव उन्हें काका कहके बुलाता है, मेरी एक कविता है जिसमे मैंने कुछ दृश्य प्रस्तुत किया है ।
धोती कुर्ता पहनते है वो मेरे दादा है कहते हम उनको काका है, राजनीती है उनका परिचय विश्वाश है उनकी साहस सत्यवादिता के है वो प्रतिक वो मेरे दादा है, कहते हम काका है ।
दादी को लगते अड़ियल, पर बच्चो को वो प्यारे है बात-बात पर डॉट लगाते, पर वो दिल से न्यारे है । खेत-खलियानो के कामो में नहीं पसंद है उनको टोक अपने मन से वो चलते है, नहीं किसी की उन पर रोक राजनीती के दीवाने है वो मेरे दादा है, कहते हम काका है
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