आद्या प्रसाद चौबे - एक समर्पित कायर्कर्ता

ये बात उन दिनों की है, जब अटल जी इंडिया शाइनिंग का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरे थे, या ये कहे की बात उन दिनों की है जब भारतीय राजनीती में कांग्रेस के बाद किसी पार्टी का 5 साल का कार्यकाल पूरा हुआ था । भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्त्ता में अलग ही जोश था, 1998 में डॉक्टर विजय सोनकर शास्त्री सैदपुर लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे, 2004 में शाष्त्री जी को टिकट नहीं मिला इनकी जगह पर विद्या सागर सोनकर ने चुनाव लड़ा । मौहोल ऐसा की सामने हिमालय को भी चुनौती देने के लिए कार्यकर्त्ता तैयार था, उत्साह इतना की मानो शरीर में पंख निकल आये हो । उसी कड़ी में गांव से जुड़े एक समर्पित कार्यकर्त्ता की ये कहानी है - वो कार्यकर्त्ता जिसने अपना पूरा जीवन पहले भारतीय जनसंघ आगे चलकर बनी भारतीय जनता पार्टी की सफलता और विफलता में खफा दिया, आज हम बात करेंगे अपनी बातो को बेबाक तरिके से रखने वाले श्री आद्या प्रसाद चौबे की । नगाड़े बज चुके थे, अपने-अपने तरिके से लोग पार्टी के कार्यो में व्यस्त हो गए । श्री चौबे के घर पर रोज चौपाल लगता था जिसमे जाती, मजहब का समीकरण जोड़ा जाता, सभाओ में लोगो को कैसे लाना है, ...